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इंडिया मालदीव रिलेशंस: चीन ने भरा मालदीवियन के मन में जहर?

इंडिया मालदीव रिलेशंस: चीन ने भरा मालदीवियन के मन में जहर। लेकिन उससे पहले ‘भारत था मालदीव का बैकप’। मालदीव के पूर्व रक्षामंत्री मारिया अहमद दीदी ने कहा की- “जब भी हमे मदद की जरूरत होती हे, हम भारत को याद करते हैं, और भारत ने हमेशा हमारी मदद की हैं”। भारत को हमेशा से इमरजेंसी बैकप मनाने वाला देश मालदीव आज भारत के खिलाफ बोल रहा हैं।

भारत लंबे समय से मालदीव की कर रहा हैं। और मालदीव आज चीन के बहकावे मैं आके भारत खिलाफ कदम उठा राहा हैं।

इंडिया मालदीव रिलेशंस को मजबूत करने के लिये भारत ने मालदीव को दी थी सैन्य सहायता।

“‘इंडिया आउट’ ये  मालदीव के प्रेसिडेंट-इलेक्शन मे मोहम्मद मुइज़्ज़ू का चुनाव नारा बना दिया था, जो 17 नवंबर 2023 को मालदीव देश का कमान संभाला था। लगभग दस वर्षों के दौरान, मालदीव के बीच भारत-विरोधी भावनाएँ बढ़ रहे थे, और कई मालदीवियों के पास कई शिकायतें थी।

Credits: President of India Photo Gallery

फिर भी, 1988 के कूड़ाल हमले में भारत के हस्तक्षेप – जिसे ऑपरेशन कैक्टस कहा गया था, उस घटना को 35 साल बाद भी, कृतज्ञता और अनुराग के साथ याद किया जाता है। ‘मालदीव में पार्टी रेखाओं के पार कुछ भी नहीं है, वे इस ऑपरेशन की समीक्षा नहीं करते हैं।”

 

साल 2004 मैं आए सुनामी मैं भारत ने की थी मालदीव की मदद।

भारत ने इंडिया मालदीव रिलेशंस को ध्यान में रखते हुये मालदीव को मदद पहुंचाने में तत्परता दिखाई। सिर्फ 12 घंटे के भीतर पहला सहायक पैकेज  मोबाइलाइज किया गया था। पहले 3 दिनों में पड़ोस में पूर्ण प्रक्रिया शुरू हो गई थी। भारत ने मालदीव के संकटकाल में ‘पहले प्रतिक्रिया’ देने वाला देश था।

क्रेडिट्स: boavelimaldives

इससे पहले भी इंडिया मालदीव रिलेशंस को मजबूत करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में सहयोगी पहलुओं में शामिल होकर विकास की कई पहलुओं में साझेदारी की है। यहाँ कुछ मुख्य पहलुओं का संक्षेप है:

विकास सहायता:

भारत ने मालदीव के बाणिज्यिक और सामाजिक संरचनाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसमें शामिल हैं इंदिरा गांधी स्मारक अस्पताल (IGMH), फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी (FET), और इंडिया-मालदीव्स फ्रेंडशिप फैकल्टी ऑफ हॉस्पिटैलिटी और टूरिज्म स्टडीज का निर्माण।
राष्ट्रीय पुलिस और कानून निरीक्षण के क्षेत्र में भी समर्थन प्रदान किया गया है, जिसमें कानून निर्माण और सुरक्षा में सहयोगी प्रयासों का प्रदर्शन हो रहा है।

रक्षा प्रशिक्षण:

भारत मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) के प्रशिक्षण में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में प्रमुख है। लगभग 70 प्रतिशत MNDF की रक्षा प्रशिक्षण आवश्यकताएं भारतीय सहायता के माध्यम से पूरी की जाती हैं, जो एक मजबूत रक्षा साझेदारी को दर्शाता है।
द्विपक्षीय समझौते और अनुदान:

पूर्व विदेश मंत्री, लेट श्रीमती सुषमा स्वराज, ने 2019 में मार्च में मालदीव का दौरा किया, जो एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक समर्थन को दर्शाता है। इस दौरे के दौरान होने वाले आर्थिक सहयोग के रूप में $800 मिलियन की मात्रा में होने वाले लाइन ऑफ क्रेडिट (LoC) समझौते के तहत अनुसूचित परियोजनाओं के लिए दिखाया गया, जिससे विकास के क्षेत्र में वित्तीय सहयोग की बात की गई। इसके साथ ही, हाई इम्पैक्ट कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स (HICDPs) के लिए अनुदान सहायता के लिए एक समझौता (MoU) हस्ताक्षर किया गया, जिसमें समुदाय विकास में संयुक्त प्रयासों को किया गया।

ये पहलुएं भारत और मालदीव के बीच रणनीतिक साझेदारी की गहराई और चौड़ाई को दर्शाती हैं, जो स्वास्थ्य, शिक्षा, रक्षा, और सामाजिक-आर्थिक विकास को समाहित करने में योगदान करती हैं। इस तरह की सहयोगी पहलुओं से ये दो राष्ट्रों के बीच मजबूत राजनयिक संबंधों और संगठनात्मक विकास की दिशा में सहायक हो रहे थे।”

जब भारत और मालदीव एक दूसरे को इतना समजते है तो, ऐसा क्या हुआ की आज मालदीव, भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है।

चीन ने भरा मालदीवियन के मन में जहर।

मोहम्मद मुईज़्जू जो आज के मालदीव प्रेसिडेंट है, आज चीन हात मिलते हुऐ नजर आ रहे हैं। लेकिन असल में ये मालदीव के प्रोग्रेसिव पार्टी के हैं जिनके असल नेता अब्दुल्ला हमीद जो की पुरीतरह से चीन के समर्थक थे।

यही मालदीव इंटरनेशनल योगा दिवस पर विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा करके सुर्खियों मे आया था और भारत के पर्यटकों को कोविड पॉजिटिव बताके लंबे समय तक अपने देश मे रहने के लिऐ मजबूर कर उनके खर्चे बड़ा दिए थे। आज का ये कदम मालदीव और भारत के बीच और ज्यादा समस्या ये पैदा कर सकता हैं।

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